सुनील श्रीवास्तव काशीपुर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के रोड शो के दौरान जिस तरीके से कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री एवं पूर्व में प्रत्याशी मुक्ता सिंह ने अचानक पार्टी का दामन झटक कर भाजपा की सदस्यता ले ली इस लिहाज से कहा जा सकता है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत तो तय है लेकिन हार जीत के अंतर अप्रत्याशित हो सकते हैं। राजनीति के जानकारों की माने तो इस बार हार जीत का अंतर 10 हजार का आंकड़ा पार कर सकता है। उधर अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के कुछ और मजबूत स्तंभ मतदान से पूर्व पार्टी को अलविदा कर सकते हैं। यहां बता दें कि निकाय चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया संपन्न होने के बाद से ही कांग्रेस के कद्दावर नेताओं का पार्टी छोड़कर जाने का क्रम लगातार जारी है। चेतन अरोरा शोभित गुड़िया मिथुन बेदी,अतुल पांडेय और युवा नेता प्रभात साहनी आदि कुछ ऐसे नाम है जो कांग्रेस के लिए अब तक किसी परिचय के मोहताज नही थे जिन्होंने कांग्रेस की नीतियों से खफा होकर सदा सर्वदा के लिए पार्टी को अलविदा कर दिया। यहां तक भी कांग्रेस मानकर चल रही थी कि चुनावी मुकाबले में वह कहीं ना कहीं अपना स्थान बना पाएगी लेकिन कांग्रेस नेत्री मुक्ता सिंह के पार्टी से जाने के बाद स्थिति काफी गंभीर हो गई है। हालांकि मुकाबला यहां अब भी कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है लेकिन पराजय का अंतर अत्यधिक हो सकता है। बता दें कि पिछले कुछ समय से काशीपुर में वैचारिक मतभेद के चलते कांग्रेस कई गुटों में बटी है। अपुष्ट सूत्र बताते हैं कि मेयर प्रत्याशी के पक्ष में तमाम ऐसे लोग हैं जो प्रत्यक्ष तो सामने है लेकिन अंदर खाने उनका जबरदस्त विरोध है। कांग्रेस के कद्दावर नेताओं का पार्टी छोड़कर लगातार जाना इसी बात की बानगी है।
कद्दावर नेताओं का पाला बदलना अंदरुनी विरोध की बानगी काशीपुर कांग्रेस में और हो सकता है खेला ?
